Akelapan Jindagi - 1 in Hindi Moral Stories by Wow Mission successful books and stories PDF | अकेलापन जिंदगी - 1

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अकेलापन जिंदगी - 1

आपके पास चाहे जितना भी दोस्त ही, रिश्तेदार हों,


कोई भी यकीनन हर इंसान के जिंदगी में एक समय,एक ऐसा वक्त आता है जब वो हजारों के भीड़ में भी खुद को अकेला पाता है। साथ तो सब होते हैं लेकिन नाम के कोई भी ऐसा नहीं होता है । जो आपके दिलों का हाल पूछे, छोड़ देते हैं लोग ये सोच कर की ये उसकी समस्या है। हमे क्या मतलब है , उससे वो कुछ भी करे । और जब वही इंसान तन्हा और अकेला जीता जीता एक दिन अपने अकेलेपन के जिंदगी से तंग आकर मर जाता है। आत्म हत्या कर लेता है तब वही लोग जिन्हें आप से मतलब नहीं होगा। वही आपके अपने लोग जो अपने तो थे लेकिन गैरों से भी बेकार दे। वैसे लोग आपके मरने पे आयेंगे। जिन्हाेंने पूरी जिंदगी आपकी बुराई करी वही आज आपके सामने आपके मरे हुए लाश का तारीफ करेंगे। ये तो कितना अच्छा इंसान था हमेशा मुस्कुराता रहता था , सबका मदद किया करता था । आपके आत्मा वहीं कहीं पास में खरे होकर, अपने दुस्मानो के मूंह से तारीफ सुनकर रोता होगा और बोलता होगा । कितना ज़ालिम ये दुनिया है जब ज़िंदा रहो तो मारने के कोई कसर नहीं छोड़ते ये लोग और जब मर जाओ तो आंसू तो ऐसे बहांगे जैसे मेरे मरने से इनका कोई मां या बाप मर गया हो। 


ये सच है दोस्तों आपके जीते जी लोग आपको कोई कसर न छोरेंग मरने के हमेशा आपकी बुराई करेंगे आपकी कोई कदर नही होगा लेकिन जिस दिन मर जायेंगे उस दिन लोग आपके लिए आंसू बहाएंगे 


क्या आप इस बात से सहमत है तो कॉमेंट में 100% लिखिए। 


लोगों की खुदगर्जी को अपने देखा कहां है। 


जीते जी जो आपके प्यारे होंगे पता है। उनके पास इतना समय नहीं होगा की वो आपके जनाजे को अच्छे से पूरा करके जाए। अगर दिए गए समय से थोड़ा सा ही देर हो जाए तो आपके अपने प्यार लोग गुस्सा होने लगेंगे। और कुछ तो बिना आपके अंतिम संस्कार किए ही भाग जाएंगे,,,


यही दुनिया की सच्चाई है,, दूसरों पे बीते तो उसका दुख वो जाने और खुद पे परे तो काश कोई मदद कर दे 


ऐसा ही कुछ हुआ शूमी के साथ,,, शुमी 


शूमी नाम का एक लड़का था ,,, उसके घर वैसे तो सभी लोग थे लेकिन उसे कोई प्यार नहीं करता सब अपने अपने कामों में बयस्त थे,,, शुमि को अपने कक्षा की जीनू नाम की एक लड़की मिली जो शूमि का दोस्त बनी शुमी जब भी अकेला होता था। ज़िनू उसके साथ खेलने घूमने को आ जाती थी । ऐसे ही देख ते ही देख ते शूमी को जीनू का आदत लग गया वो दोनों एक दूसरे के बिना नहीं रहते थे।।। अब शुमी और जीनू दोनो एक अच्छे दोस्त बन चुके थे । शूमी एक दिन क्लास नहीं आता है । तब ज़िनू उसके घर पहुंचती है। 


तो देखती है,,, की सुमी रो रहा होता है। उसके पिता जी का लाश सामने जमीन पे उजले कफन में लपटे हुए रखा होता है । यह देख जिनू जाती है । और पूछती है।ये कैसे हुआ ? 


तुम्हारे पिताजी तो एक स्वस्थ आदमी थे 


और उनका मृत्यु कैसे वो ठीक तो थे


क्या हुआ आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए 


अकेलापन जिंदगी